Pages

Sunday 27 December 2020

मै कोई सूरज थोड़े ही हूँ

 मै

कोई सूरज थोड़े ही हूँ
कि दिन भर की थकन के बाद
रात मुझे ओढ़ के सो जाए
मुझे तो चमकना होता है
हर रोज़
हर रात
आकाश के उत्तरी ध्रुव पे
और निहारना होता है
अपनी धरती को
जो लाखों प्रकाशवर्ष की दूरी पे
नाच रही होती है
अपना सतरंगी आँचल ओढ़े
मस्ती से
आवारा चाँद के लिए
(सुमी से ,,,,,,,,,,,)
मुकेश इलाहाबादी -----------
Pankaj Singh, Sandhya Yadav and 26 others
9 Comments
Like
Comment
Share

Comm

No comments:

Post a Comment